बाल कल्याण एवं विकास - Child Welfare & Development
बाल कल्याण एवं विकास - Child Welfare & Development
1974 में घोषित राष्ट्रीय बाल नीति में इस बात की घोषणा की गई कि
''बच्चे राष्ट्र की सर्वाधिक महत्वपूर्ण संपत्ति है.''
उनका पालन पोषण एवं देखरेख राष्ट्र की जिम्मेदारी है. बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार के विभिन्न विभागों एवं स्वयंसेवी संगठनों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम चलाए गए हैं. इन कार्यक्रमों में
- मातृ एवं शिशु कल्याण एवं पुष्टाहार सेवाओं
- पूर्व प्राथमिक शिक्षा
- विद्यालय समाज कार्य विशेष रूप से दिया जाता है
- बाल कल्याण के क्षेत्र में मानव संसाधन मंत्रालय के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा
- समेकित बाल विकास सेवा योजना
- विद्यालय जाने से पूर्व की आयु के बच्चों तथा गर्भवती माताओं के लिए गेहूं पर आधारित पूरक पोषाहार की योजना
- काम करने वाली तथा बीमार माताओं के बच्चों के देख रेख करने वाले केंद्रों की योजना
- 3 से 5 वर्ष की आयु समूह के विद्यालय जाने के पूर्व की आयु के बच्चों के लिए बाल वाडियों की योजना
- दिन में देख रेख करने वाले केंद्रों के माध्यम से पोषाहार कार्यक्रम
- प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के कार्यक्रम के अधीन 3 से 6 वर्ष की आयु समूह के बच्चों की प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा हेतु स्वैच्छिक संगठनों सहायता की योजना चलाई गई है.
इसके अतिरिक्त बाल कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाले संस्थानों एवं व्यक्तियों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की महिला एवं बाल कल्याण विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार भी प्रदान किए जाते हैं प्रत्येक विजेता व्यक्ति को ₹30000 नगद और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
1986 में विश्व बाल दिवस के अवसर पर खिलौना बैंक योजना प्रारंभ की गई थी. इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक स्कूल में खिलौने खिलौना बैंक में जमा किए जाते हैं और विभिन्न आंगनबाड़ियों इत्यादि में बांट दिए जाते हैं.
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