समाज कार्य अनुसंधान - Social Work Research
समाज कार्य एक ऐसा व्यवसाय है जिसके द्वारा व्यक्ति की अधिकाधिक सहायता तथा विकास एवं उन्नति करने का प्रयत्न किया जाता है। इसके अन्तर्गत सिद्धांतों, तरीकों, ढंगों, निपुणताओं तथा प्रविधियों का प्रयोग होता है। अतः इन क्षेत्रों में दिनोंदिन नवीनीकरण एवं परिवर्तन की आवश्यकता होती है क्योंकि व्यक्ति स्वयं एक परिवर्तनशील एवं विकासशील प्राणी है। समाज कार्य अनुसंधान इस आवश्यकता को पूरा करता है। वह नए-नए तरीकों की खोज करता है, सिद्धांतों का सत्यापन एवं पुनर्स्थापन करता है तथा नवीन ज्ञान की खोज करता है। आवश्यकतानुसार कार्य-कारण में संबंध भी स्पष्ट करता है।
एक बात यहाँ पर ध्यान देने की है कि चूँकि समाज कार्य का व्यक्तियों की समस्याओं से सम्बन्ध होता है अतः समाज कार्य अनुसंधान में भी इनसे संबंधित सिद्धांतों, अवधारणाओं, प्रविधियों तथा निपुणताओं इत्यादि के विषय में खोज की जाती है। सारांश में, इसके अन्तर्गत उपचार तथा सेवा प्रदान करने की विविध प्रणालियों, उनकी आवश्यकताओं तथा उनसे संबंधित नये साधनों की खोज की जाती है।
अनुसंधान का उद्देश्य सभी वैज्ञानिक क्षेत्रों में ज्ञान का विकास एवं वृद्धि करना है। समाज कार्य अनुसंधान एक ऐसा स्रोत है जिसके द्वारा समाज कार्य को नवीन ज्ञान प्राप्त होता है। प्रारंभ में समाज कार्य सामाजिक विद्वानों के अनुसंधान के तरीकों को अपनाने में हिचकिचाता था। अतः समाज कार्य अनुसंधान में वैज्ञानिक तरीकों को नहीं प्रमाणित किया गया ।
प्रारंभिक सामुदायिक अध्ययन समाज कार्यकर्ता द्वारा सामाजिक समस्याओं, संस्थागत कार्यक्रमों, संरचना, कार्य पद्धति तथा समाज कार्य का इतिहास, भौतिक तथा उपचारात्मक अवलोकन इत्यादि खोजों ने केवल नयी सामाजिक सेवाओं पर बल दिया। इस प्रकार के अध्ययन ने सामुदायिक समाज कल्याण योजना को सरल बनाया परन्तु मानव प्रकृति, व्यवहार तथा सम्बन्धों के वैज्ञानिक ज्ञान को गहन नहीं बनाया। इन अध्ययनों ने समाज कार्य के तरीकों की आवश्यकता को सिद्ध किया। नए ज्ञान एवं तरीकों के विकास के साथ-साथ आनुसंधान का क्षेत्र भी अब बढ़ता जा रहा है। परन्तु सामाजिक अनुसंधान तथा समाज कार्य अनुसंधान में अन्तर है क्योंकि सामाजिक अनुसंधान सामाजिक मूल्यों, धारणाओं तथा कार्य-कारण के सम्बन्धों को निरपेक्ष भाव से देखता है। इसके लिए आवश्यक नहीं कि प्राप्त निष्कषों का व्यावहारिक परिणामों से सम्बन्ध हो ही अतः ऐसा अनसंधान विशुद्ध अनसंधान होता है। परन्तु समाज कार्य अनुसंधान सामाजिक शक्तियों का अध्ययन व्यक्ति के सन्दर्भ में करता है। उसका उद्देश्य व्यक्ति की सामाजिक समस्याओं का समाधान करना है। वह देखता है कि नये अनुसंधान किस प्रकार सेवार्थी (व्यक्ति, समूह तथा सम्पूर्ण समुदाय) की सेवाओं में सुधार ला सकते हैं। 10.7.3 समाज कार्य अनुसंधान की परिभाषा
समाज कार्य अनुसंधान एक ऐसी खोज है जिसके अन्तर्गत वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करके ऐसे उपायों की खोज की जाती है जिससे सेवार्थियों (व्यक्ति, समूह, समुदाय तथा सम्पूर्ण समाज) को अधिक अच्छे ढंग से सेवा प्रदान की जा सके तथा समस्याओं का समाधान एवं व्यक्ति का सर्वोन्मुखी विकास सम्भव हो सके।
फ्रीडलैन्डर के अनुसार : ”समाज कार्य शोध का अर्थ है,
समाज कार्य के संगठन, कार्य एवं प्रणालियों की वैधता का आलोचनात्मक अन्वेषण और वैज्ञानिक जाँच जिससे उन्हें प्रमाणित किया जा सके, उनका सामान्यीकरण किया जा सके और समाज कार्य के ज्ञान और निपुणता में वृद्धि की जा सके।“
वेब्स्टर शब्द-कोष के अनुसार : सामाजिक शोध एक अध्ययन-परायण अन्वेषण है जो सामान्यतः आलोचनात्मक और अत्यन्त विस्तृत जाँच या परीक्षण के रूप में होता है और जिसका उद्देश्य स्वीकृति-प्राप्त परिणामों के विषय में नवीन सूचनाओं के आधार पर पुनः विचार करना है।”
सोशल वर्क इयर बुक, सन् 1949 ई0 के अनुसार : ”समाज कार्य शोध का अर्थ है समाज कार्य के कार्यों और प्रणालियों की वैधता की वैज्ञानिक जाँच।”
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