चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर - Fourth Generation of Computers


 चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर


सन् 1965 के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों का एकल चिप पर समाहित किया जाने वाले घटकों की संख्याओं ने इजाफा प्रत्तेक वर्ष दो गुना होता था जिसे बरे पैमाने का एकीकृत कारण कहा जाता है जिसमें ३०००० इलेक्ट्रॉनिक्स पटकों का एकीकृत कारण से लेकर एक मीलीयन तक इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों का एकीकृत कारण किया जाना सम्भव हो सका. सन् 1971 में बहुत अधिक मात्रा मे सर्किट को एक एकल चिप पर समाहित किया गया| LSI (large scale integrated circuit) VLSE (very large scale integratd circuit) ULSE (ultra large scale integrated circuit) मे बहुत अधिक मात्रा में सर्किट को एक एकल चिप पर समाहित किया गया। इससे माइक्रो प्रोसेसर का विकास हुआ माइक्रो प्रोसेसर में सभी प्रकार के सर्किट मौजूद होते है जो अंकगणितीय गणना के साथ साथ तार्किक गणना करने में सक्षम है। इससे एक सम्पूर्ण कंप्यूटर बनाने के लिए माइक्रो प्रोसेसर के अलवा प्राथमिक भंडारण चीप और कुछ सर्किट की आवश्यकता होती थी. माइक्रो प्रोसेसर ने सामाजिक परिवर्तन लेते हुए पर्सनल कंप्यूटर का विकास हो पाया था, पर्सनल कंप्यूटर का आकार में काफी छोटा होता था और इसका मूल्य भी बहुत कम होता है जिसके कारण इसे खरीदना आम जनता के बस में था, अतः इस पीढ़ी में कंप्यूटर का उपयोग आम जनता द्वारा किया जाना संभव हो सका था सन् 1975 में प्रथम माइक्रो कम्प्यूटर Altair 8000 प्रस्तुत किया गया। सन् 1981 मे IBM ने पर्सनल कम्प्यूटर प्रस्तुत किया जिसका उपयोग घर, कार्यालय एवं विद्यालय में होता है। चतुर्थ पीढ़ी के कम्प्यूटर मे लेपटॉप का निर्माण किया गया। जो कि आकार में ब्रिफकेस के समान था plantop का निर्माण किया गया जिसे जेब में रखा जा सकता था.






चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर में प्राथमिक मेमोरी के लिए मेम्नेटिक कोर के स्थान पर सेमी कंडक्टर मेमोरी का उपयोग किया जाने लगा. इसमें डाटा को पढ़ने और लिखने के रेडम एक्ससेस विधि का प्रयोग होने से यह बहुत तेजी से काम करने वाला मेमोरी था, द्वितीयक भण्डारण के रूप में हार्ड डिस्क का उपयोग होता था जिसकी धारिता पाहिले के मुकाबले अधिक हो गया था, बदि बहुत अधिक मात्रा में डाटा का संग्रह करने के लिए मेग्नेटिक टेप मेमोरी का उपयोग किया जाता था डेटा को एक कंप्यूटर से दुसरे कंप्यूटर में स्थानांतरण करने के लिए फ्लॉपी डिस्क या मेग्नेटिक टेप का उपयोग किया जाता था.





इसके अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण विकास कंप्यूटर नेटवर्क के क्षेत्र में हुआ LAN से किसी संस्था के अन्दर के कंप्यूटरों के आपस में जोड़ने के लिए किया जाता था. अलग-अलग शहर में रखे कंप्यूटरों को आपस में जोड़ने के लिए Wide Area Network (WAN) का सहारा लिया जाता था.






सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में बहुत परिवर्तन आया था. कई नए प्रकार के सॉफ्टवेयर आया जिससे कंप्यूटर पर काम करना आसन हो गया. पर्सनल कंप्यूटर के लिए IBM ने PC-DOS नाम का ऑपरेटिंग टम का निर्माण किया था जिसका उपयोग IBM के पर्सनल कंप्यूटर के हुआ माइक्रो सॉफ्ट ने DOS ऑपरेटिंग सिस्टम पर एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) का निर्माण किया जिसे विंडोज नाम से जाना जाता है इस सॉफ्टवेयर ने कंप्यूटर पर काम करना बहुत आसन कर दिया, कंप्यूटर पर काम करने के लिए कमांड और उसके बाक्य विन्यास को याद रखने के की जरूरत नहीं होती थी माउस का प्रयोग कर यूजर कंप्यूटर पर काम आसानी से कर सकता था. इसके साथ: अनेक प्रकार के सॉफ्टवेयर का निर्माण किया गया जिससे पर्सनल कंप्यूटर की उपयोगिता बढ़ी जैसे कंप्यूटर पर किसी प्रकार के दस्तावेज का बनाने के लिए वर्ड प्रोसेसिंग पैकेज का विकास हुआ, स्प्रेडशीट पैकेज से कंप्यूटर पर डाटा के निर्माण तथा उसकी विश्लेषण कर सकते थे. इस पीढ़ी में C प्रोग्रामिंग भाषा तथा UNIX ऑपरेटिंग सिस्टम भी काफी लोकप्रिय सॉफ्टवेयर







चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएँ


पर्सनल कंप्यूटर


• पर्सनल कंप्यूटर का आकार छोटा और इसकी कीमत मेनाफ्रेम और मिनी कंप्यूटर के तुलना में बहुत कम


• पर्सनल कंप्यूटर को एयर कंडीशन की अवस्कता नहीं होती थी


● इसका पीढ़ी के कंप्यूटर कम पॉवर पर भी काम करता था.


● इस पौढ़ी के कंप्यूटर तौसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के तुलना में काफी विश्वनीय और इसमें हार्डवेयर से संबंधित खराचियाँ भी कम आती थी.


• इस पीढ़ी के कंप्यूटर में प्रथिमिक और द्वितीयक भण्डारण की क्षमता द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर के तुलना में अधिक था.


● ये सामान्य उद्देशीय कंप्यूटर होते थे,



• इस पीढ़ी के कंप्यूटर के निर्माण में उच्च तकनीकी का उपयोग किया जाता था. VLSI एकीकरण पद्धति का उपयोग किया जाने के कारण कंप्यूटर को निमार्ण में लगाने वाले समय की बचत हुई और कंप्यूटर के


मूल्य के बहुत अधिक कमी आई थी. • उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा का समानीकरण किये जाने से एक कंप्यूटर पर लिखे प्रोग्राम को किसी अन्य कंप्यूटर पर भी रन किया जा सकता था.


● ग्राफिकल यूजर इंटरफ़ेस (GUI) ने यूजर को कंप्यूटर पर काम करना आसान बना दिया.


● पर और दफ्तर में प्रयोग होने वाले कई सॉफ्टवेयर पर्सनल कंप्यूटर के लिए लिखे गए


● कंप्यूटर नेटवर्क ने कंप्यूटर के संसाधनों जैसे हार्डडिस्क, प्रिंटर आदि कंप्यूटर यूजर के बीच बटा जाना सम्भव हो सका. इससे एक प्रोजेक्ट पर कई प्रोग्रामर एक साथ प्रोग्राम लिख सकता था इसे ग्रुपवर एप्लीकेशन का निर्माण करने में मदद मिली.


• चतुर्थ पौड़ी के पर्सनल कंप्यूटर की कीमत कम होने से आम लोग इसे अपने कामों के किया जाने लगा