जनसंचार माध्यमों का परिचय - Introduction to Mass Media
जनसंचार माध्यमों का परिचय - Introduction to Mass Media
'जानकारी देना और जानकारी हासिल करना जनसंचार का पहला लक्ष्य है, और इसके लिए जनसंचार माध्यम अपरिहार्य हैं।'
वैश्विक परिदृश्य में बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में एक नये संसार की निर्मिति हो रही थी। इस नये संसार में प्रजातान्त्रिक व्यवस्था लोकप्रिय हो रही थी, औद्योगीकरण का प्रभाव बढ़ रहा था, नगरीकरण हो रहा था, राजशक्तियों में युद्ध हो रहे थे, सामाजिक परिस्थितियों का परिवर्तन हो रहा था। पूँजीवाद के उदय ने जिस लोकतान्त्रिक व्यवस्था को स्वीकार करना आरम्भ कर दिया था, उसमें शीघ्रता से जनमन तक पहुँचने के लिए राजनयिकों को संचार के ऐसे संसाधनों की आवश्यकता होने लगी थी, जिनके द्वारा वे अपने विचारों को आसानी से अधिकाधिक लोगों तक पहुँचा सकें। क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली राजनीतिक हलचल, आर्थिक सामाजिक उथलपुथल और सांस्कृतिक गतिविधियों की जानकारी देने के लिए संचार के तार, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविजन, प्रिंटिगप्रेस, कम्प्यूटर, फैक्स आदि समृद्धतम माध्यमों का आविष्कार जिस गति से हुआ, वह चौंका देने वाला था। भारत के परिदृश्य में स्वतन्त्रता आन्दोलन के समय होने वाली प्रभातफेरियाँ जनसभाएँ, हस्तलिखित बुलेटिनों से लेकर प्रेस की भूमिका के विषय में हम सभी जानते हैं। ये सभी जनसंचार के प्रमुख उपकरण रहे हैं।
मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि जनसंचार के मुख्य संसाधन हैं समाचारपत्र, मैग्जीन पुस्तकें, रेडियो, फिल्म, टी.वी. सैटेलाइट टी.वी. और केबल टी.वी. और इंटरनेट इन जनमाध्यमों को प्रिंट मीडिया और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया दो भागों में रख सकते हैं। प्रिंट मीडिया लगभग 500 वर्ष से प्रचलित प्राचीन जनमाध्यम हैं और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया बीसवीं शताब्दी की तकनीकी उपलब्धि है। इस तरह आधुनिक समय में प्रचलित जनसंचार माध्यमों को मुख्य रूप से निम्न वर्गों में रख सकते हैं जिसे चित्र द्वारा अगले पृष्ठ पर दर्शाया गया है -
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