अवलोकन के प्रकार - Types of Observation

अवलोकन के प्रकार - Types of Observation

अवलोकन के प्रकार - Types of Observation


अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से अवलोकन को निम्नानुसार विभाजित किया जा सकता है -


क) अनियंत्रित या अनिदेशित अवलोकन (Uncontrolled Observation)


सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करने के लिए अनियंत्रित अवलोकन की पद्धति अत्यंत महत्वपूर्ण है। जैसा कि नाम से स्पष्ट हो रहा है कि इस प्रकार के अवलोकन में लोगों पर किसी प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं होता है। दूसरे शब्दों में, प्राकृतिक पर्यावरण एवं अवस्था में किन्ही क्रियाओं का निरीक्षण किया जाता है, साथ ही क्रियाएं किसी भी बाह्य शक्ति द्वारा संचालित एवं प्रभावित नहीं की जाती है तो इस प्रकार का निरीक्षण का अनियंत्रित अवलोकन कहा जाता है।


श्रीमती पी. वी. यंग- “अनियंत्रित अवलोकन में हम वास्तविक जीवन की परिस्थितियों का सावधानी से अध्ययन करते हैं तथा इसमें हम किसी शुद्ध यंत्र का प्रयोग नहीं करते हैं और उस घटना की शुद्धता की जांच का प्रयत्न भी नहीं करते हैं।" इस प्रकार के अवलोकन में अवलोकन की जाने वाली घटना पर बिना प्रभाव डाले, उसे स्वाभाविक रूप में देखने का प्रयत्न किया जाता है इसलिए गुडे एवं हॉट इसे 'साधारण अवलोकन' कहते हैं। जहोदा एवं कुक इसे 'असंरचित अवलोकन का नाम देते हैं। समाज विज्ञानों में इसे स्वतन्त्र अवलोकन', 'अनौपचारिक अवलोकन' तथा 'अनिश्चित अवलोकन' के नाम से भी जाना जाता है।







इसकी विशेषताओं को निम्नानुसार व्यक्त किया जा सकता है -


1) यह अत्यन्त सरल एवं लोकप्रिय विधि है। 


2) घटना की स्वाभाविक परिस्थिति में अध्ययन किया जाता है।


3) अवलोकनकर्ता पर किसी भी प्रकार का नियन्त्रण नहीं लगाया जाता है।


4) अध्ययन की जाने वाली घटना पर भी कोई नियन्त्रण नहीं लगाया जाता है। 


अनियन्त्रित अवलोकन के तीन प्रकार होते हैं -


1) सहभागी अवलोकन


सहभागी अवलोकन के अंतर्गत शोधकर्ता उस घटना का अंग बन जाता है जिसका वह अवलोकन कर रहा होता है। यहाँ प्रारम्भिक शर्त यह है कि अवलोकनकर्ता को अध्ययन क्षेत्र के लोगों द्वारा एक सहभागी के रूप में स्वीकार कर लिया जाए। 


श्रीमती पी. वी. यंग के अनुसार सहभागिता मुख्य रूप से तीन बातों पर निर्भर करती है -


• अध्ययन की प्रकृति पर


• समूह की परिस्थिति पर (वह किस सीमा तक सहभागी होने में साथ देती है )


• अवलोकनकर्ता की भूमिका निर्धारण पर (वह किस भूमिका में है)


अवलोकनकर्ता द्वारा स्वीकार करने वाली भूमिका कैसी होनी चाहिए यह अध्ययन समूह के स्वरूप और शोध के केंद्र बिन्दु परनिर्भर करता है। साधारणतः सहभागी अवलोकन में यह सवाल अक्सर उठता है कि अवलोकनकर्ता द्वारा अपने अध्ययन के उद्देश्य को समूह को बताना चाहिए अथवा नहीं। दरअसल यह भी कई कारकों पर निर्भर करता है -


• अध्ययन की प्रकृति पर


• नैतिकता की दृष्टि से यह कहाँ तक न्यायसंगत


• समूह की परिस्थिति पर











2) असहभागी अवलोकन


असहभागी अवलोकन में अवलोकनकर्ता अध्ययन किए जाने वाले समूह के मध्य उपस्थित तो रहता है, परंतु केवल तटस्थ दर्शक के रूप में वह स्वयं उस घटना का अंश नहीं बनता जिसका कि वह अवलोकन कर रहा होता है। इस प्रकार के अवलोकन में अवलोकनकर्ता समूह का न तो स्थाई सदस्य बनता है और ना ही उनकी किसी भी क्रिया में भागीदारी करता है। दूर से ही जो कुछ भी वह निरीक्षण कर पाता है उसी के आधार पर गहन व गूढ जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करता है। इस प्रकार से निष्पक्ष और स्वतन्त्रतापूर्वक अध्ययन इस प्रविधि की प्रमुख विशेषताएं है।


3) अर्द्धसहभागी अवलोकन 


सहभागी और असहभागी अवलोकनों की सीमाओं के कारण गुडे एवं हॉट ने इन दोनों के मध्य के मार्ग को अपनाने का सुझाव प्रस्तुत किया जिसे अर्द्धसहभागी अवलोकन के नाम से जाना जाता है। 


गुडे एवं हॉट के अनुसार, "दोनों भूमिकाओं (सहभागी तथा असहभागी) को कार्यान्वित करना स्वयं पूर्णरूपेण प्रछन्न रूप से प्रयत्न करने की अपेक्षा सरलतर है। "


इस प्रकार के निरीक्षण में शोधकर्ता अध्ययन किए जाने वाले समुदाय के कुछ साधारण से कार्यों में भागीदारी भी करता है, यद्यपि अधिकांशतः वह तटस्थ द्रष्टा की भांति बाहर से ही निरीक्षण करता है। इस अवलोकन में सहभागी और असहभागी अवलोकन दोनों के लाभ प्राप्त होने की संभावना बनी रहती है। 


ख) नियंत्रित अवलोकन (Controlled Observation)


अनियन्त्रित अवलोकन में पाई जाने वाली खामियों जैसे- विश्वसनीयता एवं तटस्थता का अभाव आदि ने ही नियन्त्रित अवलोकन को आधारशिला प्रदान की है। इसमें अवलोकन की जाने वाली घटना/समस्या/ परिस्थिति पर नियन्त्रण किया जाता है। अवलोकन सम्बन्धी योजनाएँ पहले ही तैयार कर ली जाती है, जिसके अन्तर्गत चयनित प्रक्रिया एवं साधनों की सहायता से तथ्यों का संकलन किया जाता है। इस अवलोकन में दो प्रकार से नियन्त्रण किया जाता है


1. सामाजिक घटना पर नियन्त्रण 


जिस प्रकार प्राकृतिक विज्ञानों में प्रयोगशाला में परिस्थितियों को नियन्त्रित करके उनका अध्ययन किया जाता है, उसी प्रकार इस प्रविधि के अंतर्गत समाज वैज्ञानिक भी सामाजिक घटनाओं अथवा परिस्थितियों को नियन्त्रित करके उनका अध्ययन करता है। तथापि, मानवीय व्यवहारों और सामाजिक घटनाओं को नियंत्रित करना अत्यंत दुष्कर कार्य होता है।


2. अवलोकनकर्ता पर नियन्त्रण 


इस प्रविधि में घटना पर नियन्त्रण न रखकर अवलोकनकर्ता पर नियन्त्रण रखा जाता है। यह नियन्त्रण कुछ साधनों द्वारा किया जाता है यथा अवलोकन अनुसूची अवलोकन की विस्तृत पूर्व योजना, कैमरा, मानचित्रों, विस्तृत क्षेत्रीय नोट्स व डायरी, टेप रिकार्डर इत्यादि।


ग) सामूहिक अवलोकन


जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि सामूहिक अवलोकन में अवलोकन का कार्य कई व्यक्तियों द्वारा सम्पन्न किया जाता है। इसमें अध्ययन की जाने वाली घटना के विभिन्न पक्षों का एकाधिक विषय विशेषज्ञों द्वारा अवलोकन किया जाता है। इन सभी अवलोकनकर्ताओं में कार्य का बंटवारा कर दिया जाता है और उनके कार्यों का समन्वय एक केन्द्रीय संगठन द्वारा किया जाता है।

1944 में जमैका में स्थानीय दशाओं के अध्ययन हेतु इस विधि का प्रयोग किया गया था। सामूहिक अवलोकन का प्रयोग 1984 में इंग्लैण्ड में वहाँ के निवासियों के जीवन, स्वभाव व विचारों के अध्ययन हेतु भी किया गया था। इस प्रविधि में अधिक व्यय के साथ-साथ कुशल प्रशासन की भी आवश्यकता होती है। इसी कारण इस विधि का प्रयोग व्यक्तिगत के बजाय सरकारी या अर्द्ध-सरकारी संस्थानों द्वारा ही अधिक मात्रा में किया जाता है।