प्रतिचयन के प्रकार - Types of Sampling

प्रतिचयन के प्रकार - Types of Sampling

प्रतिचयन के प्रकार - Types of Sampling

पिछले भाग में हमने संकेत किया कि एक नमूना लेने के लिए अपनाई गई पद्धति विश्वसनीय परिणामों या निष्कर्षों पर पहुँचने के लिए महत्वपूर्ण है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस भाग में अब हम विभिन्न प्रतिचयन पद्धतियों के विषय में चर्चा करेंगे। प्रतिचयन पद्धतियों को मोटे रूप में दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है -


i. संभाव्य (Probability) प्रतिचयन 


ii. ग़ैर-संभाव्य (Non-probability) प्रतिचयन


◆ संभाव्य प्रतिचयन 


संभाव्य प्रतिचयन चुनाव की वह विधि है जिसमें समग्र की सभी इकाईयों को चुने जाने का समान अवसर दिया जाता है। इसकी कुछ विशेषताएँ निम्नवत हैं:


i. समान रूप से जनसंख्या की प्रत्येक इकाई को नमूने में चुने जाने की संभावना हो।


ii. प्रतिचयन की प्रतिक्रिया नमूने की इकाईयों के चुनाव में एक या अधिक चरणों तक स्वचालित हो।


iii. नमूने के विश्लेषण में संभाव्यों के आधार पर आकड़ों को वांछित महत्व दिया जाए। 


संभाव्य प्रतिचयन विभिन्न प्रकार से किया जा सकता है, प्रत्येक पद्धति की अपनी-अपनी विशिष्टताएँ और सीमाएँ हैं। इनका संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है -


क) सामान्य यादृच्छिक प्रतिचयन 


इस प्रतिचयन के अनुसार उस संख्या में लिए जा सकने वाले सभी संभव प्रतिदर्शों के चयन की संभावना समान रूप से होती है। इसके अंतर्गत समस्त इकाईयों को इस प्रकार से व्यवस्थित किया जाता है कि चयन प्रक्रिया में समग्र की प्रत्येक इकाई के चुने जाने की संभावना समान रूप से हो। उदाहरणस्वरूप, यदि समग्र के अंतर्गत N इकाईयां हैं तथा प्रतिचयन में हम n इकाईयों को सम्मिलित करना चाहते हैं तो सरल यादृच्छिक प्रतिचयन के अनुसार सभी N इकाईयों का चुनाव n/N अवसर प्राप्त होना चाहिए। 


आम तौर पर यह सबसे उत्तम परिणाम सुनिश्चित करता है। परंतु व्यावहारिक तौर पर जनसंख्या की सम्पूर्ण इकाईयों की सूची प्राप्त करना लगभग असंभव है। यदि ऐसा हो भी, तो इसमें लागत बहुत आती है जिसका निर्वहन करना एक शोधकर्ता या किसी संगठन के लिए अत्यंत दुष्कर होगा। अतः सामान्य यादृच्छिक प्रतिचयन का प्रयोग बहुत मुश्किल है साथ ही साथ सम्पूर्ण जनसंख्या के विषमजातीय विशेषताओं वाली होने पर चुनी गई सभी इकाईयों के शोध में भाग लेने पर भी परेशानियाँ आती हैं।










ख) व्यवस्थित प्रतिचयन 


इसे क्रमबद्ध व आनुक्रमिक प्रतिचयन के नाम से भी पुकारा जाता है। यह जनसंख्या सूची के लिए व्यवस्थित प्रतिचयन नमूने का ज्यादा सम-विस्तार उपलब्ध कराता है और साथ ही साथ अधिक यथार्थता की ओर उन्मुख करता है। व्यवस्थित प्रतिचयन की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं -


1. सबसे पहले जनसंख्या की इकाई की सूची का निर्माण किसी व्यवस्था के आधार पर, जैसे वर्ग क्रम के आधार पर, मकान की संख्यानुसार, प्राथमिकता के अनुसार अथवा अन्य किसी आधार पर किया जाता है।


ii. इष्ट प्रतिचयन अंश का निर्धारण करना, जैसे 15000 में से 500 इकाईयों का प्रतिचयन चुनना है तो 15000/500वीं अर्थात प्रत्येक 3वीं इकाई को प्रतिचयन में लिया जाएगा।


अध्ययन हेतु कितनी इकाईयों का चयन करना है यह निर्धारण समग्र व प्रतिचयन के आधार पर ही होगा। ज्ञातव्य है कि इस चयन प्रक्रिया का इस्तेमाल सीमित व सजातीय समग्र के संदर्भ में ही किया जाता है। 


ग) स्तरीकृत प्रतिचयन


स्तरीकृत यादृच्छिक प्रतिचयन में समग्र को विभिन्न स्तरों में वर्गीकृत कर लिया जाता है तथा प्रत्येक स्तर से यादृच्छिक विधि से स्वतंत्र रूप से प्रतिचयन का चुनाव कर लिया जाता है। इसमें सबसे पहले संगत स्तरीकरण मानदण्ड का निर्धारण किया जाता है। तत्पश्चात स्तरीकरण मानदण्ड के आधार पर पूरी जनसंख्या को उन जनसंख्याओं में बांटा जाता है और प्रत्येक उप-जनसंख्याओं में इकाईयों की अलग अलग सूची बनाई जाती है। फिर एक उपयुक्त यादृच्छिक चयन तकनीक के इस्तेमाल से प्रत्येक उप जनसंख्या में से अपेक्षित संख्या में इकाईयों का चयन किया जाता है और अंततः प्रमुख नमूना तैयार करने के लिए उन नमूनों को समेकित किया जाता है।


स्तरीकृत प्रतिचयन चयन के उद्देश्य निम्नानुसार हैं -


• अधिक विश्वसनीय प्रतिचयन की प्राप्ति।


• सम्पूर्ण समग्र के लिए प्रतिचयन के परिणामों के प्रसरण (Variance) को कम करना।


• विभिन्न स्तरों से अलग-अलग प्रतिचयन का चुनाव करने हेतु यादृच्छिक की अलग-अलग प्रणालियों का प्रयोग करना।


• समग्र के विभिन्न स्तरों के बारे में अलग-अलग प्रतिचयन परिणाम प्राप्त करना।


• सांख्यिकी के मानक दोषों को घटाना।


i) आनुपातिक स्तरीकृत यादृच्छिक प्रतिचयन


इस प्रणाली में समग्र के प्रत्येक स्तर में से प्रतिचयन में इकाईयां उसी अनुपात में यादृच्छिक प्रक्रिया द्वारा चयन की जाती हैं जिस अनुपात में वे समग्र में होती हैं। यदि विभिन्न स्तरों में भिन्न-भिन्न संख्या में इकाईयां पाई जाती हैं तो प्रत्येक स्तर के लिए एक स्थिर अनुपात में चुनते हुए की जाती है। इस प्रकार का चयन शोधकर्ता को इस विषय में निश्चित होने की सामर्थ्यता प्रदान करता है कि वह प्रत्येक स्तर में उचित मंत्र अनुपात में इकाईयों का चयन कर रहा है। 












ii) ग़ैर-आनुपातिक स्तरीकृत यादृच्छिक प्रतिचयन


इसके अंतर्गत प्रत्येक स्तर से समान संख्या में इकाईयों का चयन किया जाता है। इसमें इस बात का ध्यान नहीं रखा जाता है कि विभिन्न स्तरों में चुनी गई इकाईयों का समग्र में अनुपात क्या है ? किन्तु गैर आनुपातिक स्तरित प्रतिचयन का चयन करते समय यह सदैव आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक स्तर से पाई जाने वाली इकाईयों की संख्या असमान होने के बावजूद भी समान संख्या में इकाईयां प्रतिचयन के अंतर्गत शामिल की जाएँ। आम तौर पर प्रतिचयन में इच्छित इकाईयों की संख्या का चयन विश्लेषण संबंधी उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। 


घ) समूह प्रतिचयन 


अध्ययन क्षेत्र के अधिक फैले होने पर साधारण या स्तरीकृत यादृच्छिक प्रतिचयन के इस्तेमाल पर लागत बहुत अधिक आएगी। अत: यह अत्यंत महँगा और शोध परियोजना के प्रशासन, निरीक्षण तथा विशेष रूप से क्षेत्र में काम करने वालों के पर्यवेक्षण की दृष्टि बहुत कठिन कार्य होगा। यहाँ समूह प्रतिचयन का से चयन ही उचित होगा।


समूह प्रतिचयन का प्रयोग ज्यादातर सर्वेक्षण अनुसंधान में किया जाता है जहां समग्र बड़ा होता है और वह काफी विस्तृत क्षेत्र में बिखरा हुआ होता है। इसके लिए निम्नलिखित चरणों को अपनाया जाता है


• सर्वप्रथम पूरे शोध क्षेत्र को उप-क्षेत्रों में विभाजित कर दिया जाता है, सामान्य रूप से जिन्हें समूह कहते हैं।


• समूहों के चयन हेतु साधारण यादृच्छिक या स्तरीकृत पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है। 


• अन्तत: अनुसंधानकर्ता समूहों में से ही नमूनों का चयन कर अध्ययन किए जाने वाले अंतिम नमूने के आधार पर पहुँच जाता है, जिन्हें साधारण या स्तरीकृत यादृच्छिक प्रतिचयन के आधार पर चुना गया होता है।


● ग़ैर-संभाव्य प्रतिचयन


जब समग्र से उस संख्या की सभी संभव संयुक्तियों को प्रतिचयन चयन में लिए जाने की संभावना एक समान नहीं होती है तब इसे गैर-संभाव्य प्रतिचयन कहा जाता है। 


क) आकस्मिक या प्रासंगिक प्रतिचयन


प्रासंगिक प्रतिचयन में, एक प्रतिचयन उस प्रक्रिया से चयन किया जाता है जिसे उचित रूप से स्पष्ट नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए एक शोधकर्ता जो पारिवारिक जीवन का अध्ययन करने का इच्छुक है और इस बारे में वह सूचनाएँ आसानी से प्राप्त कर सकता है अथवा वह अपना प्रतिचयन अपने कॉलेज में अध्ययनरत छात्रों के परिवारों से प्राप्त करता है। ऐसे मामलों में मानक दोष का गणितीय रूप से अनुमान लगाना संभव नहीं है, क्योंकि स्थिति का एक संभव गणितीय अभिकल्प बनाना असंभव है।


ख) उद्देश्यात्मक प्रतिचयन


उद्देश्यात्मक प्रतिचयन वह प्रतिचयन होता है जिसके चुनाव में शोधकर्ता प्रतिचयन में उन्हीं इकाईयों को शामिल करता है जिनको लेने से उसके उद्देश्य के अनुसार प्रतिचयन प्रभावशाली प्रकार से प्रतिनिधित्वपूर्ण बन सके। इसके चरण निम्नवत हैं


• औसत गुण की इकाईयों का चयन


• उद्देश्य के अनुसार प्रतिचयन का चयन


• आनुपातिक चयन











उदाहरणस्वरूप, यदि एक शोधकर्ता भारतीय नगर में सामाजिक संस्तरण का अध्ययन करता है जो जनसंख्या, जातिगत ढांचा, जन्म व मृत्यु दर, व्यावसायिक वर्गीकरण तथा अन्य मापने योग्य विशिष्टताओं में सभी भारतीय नगरों के औसत निकट हो। यह मान लिया जाता है कि इस प्रकार विशिष्ट नगर अपनी परिस्थिति व्यवस्था में भी विशिष्ट ही होगा। 


ग) नियतांश (कोटा) प्रतिचयन


इसके अंतर्गत समग्र के विविध तत्वों तथा वे जिस अनुपात में समग्र में शामिल हैं उसी अनुपात में विश्वास के साथ प्रतिनिधित्वपूर्ण प्रतिचयन इकाईयों के चयन के लिए कोटा प्रतिचयन का प्रयोग किया जाता है। इसके चरण निम्नवत हैं 


• सबसे पहले समग्र को वैषयिक आधार पर विभिन्न खंडों में विभाजित कर दिया जाता है।


• प्रत्येक खंड से इकाईयों के चयन हेतु कोटा तय कर लिया जाता है और, 


• उतनी इकाईयों का चयन प्रत्येक खंड से यादृच्छिक प्रतिचयन के आधार पर कर लिया जाता है।


घ) हिमकंदु क या स्नोबॉल प्रतिचयन


इस प्रतिचयन का इस्तेमाल कुछ विशिष्ट परिस्थितियों के दौरान किया जाता है जैसे किसी मादक द्रव्य का उपयोग करने वाले या चोर-उचक्कों अथवा जेबकतरों का नमूना लेने में स्नोबॉल प्रतिचयन काफी प्रभावी सिद्ध होता है। जैसे-जैसे एक घूमती हुई बर्फ की गेंद नीचे आगे बढ़ते हुए अपने ऊपर और बर्फ चिपका कर बड़ी होती जाती है वैसे ही जैसे-जैसे अध्ययन के दौरान इकाईयाँ मिलती जाती है उसी के अनुरूप नमूना बढ़ता जाता है। इसे ही हिमकंदु क या स्नोबॉल प्रतिचयन कहते हैं।


ङ) सुविधाजनक प्रतिचयन


प्रतिचयन की इस प्रविधि में शोधकर्ता को जो भी तरीका सुविधाजनक जान पड़ता है वह उसी के अनुसार त्र होता है। अतः प्रतिचयन के चयन करने के लिए स्वतंत्र अतः इस प्रतिचयन में अभिनत होने की संभावना अधिक रहती है। 











च) मिश्रित प्रतिचयन


मिश्रित प्रतिचयन के अंतर्गत प्रतिचयन के एक से अधिक प्रकारों का इस्तेमाल किया जाता है। इस श्रेणी के अंतर्गत उन सभी प्रतिचयन प्रकारों को शामिल किया जा सकता है जिनमें दो अथवा दो से अधिक प्रकारों का उपयोग किया जाता है। 


ड़) विस्तृत प्रतिचयन


इस प्रविधि में प्रतिचयन के रूप में अत्यधिक इकाईयों को शामिल किया जाता है। जिन इकाईयों के संबंध में तथ्य संकलन में परेशानी आती है उन्हें छोड़ दिया जाता है। दरअसल यह प्रविधि एक विशेष उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये एक वृहत आकार के समग्र के अध्ययन में लाभप्रद होती है।