ब्रिटिश काल में शिक्षा की विशेषताएँ - Features of Education in the British Period

ब्रिटिश काल में शिक्षा की विशेषताएँ - Features of Education in the British Period


ब्रिटिश कालीन शिक्षा व्यवस्था की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थी -


• शिक्षा के उद्देश्य ब्रिटिश कालीन शिक्षा व्यवस्था शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित थे


• भारतीयों का बौद्धिक तथा नैतिक विकास करना


• भारत में यूरोपियन साहित्य तथा विज्ञान का प्रसार करना


• भारतीयों का आर्थिक विकास करना


• ब्रिटिश शासन की सहायता के लिए भारतीयों को प्रशिक्षित करना


• शिक्षण संस्थाएं- ब्रिटिश काल में प्राथमिक माध्यमिक तथा उच्च शिक्षा के तीन स्तर थे। 1857 में कलकत्ता, बम्बई एवं मद्रास में विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही भारत में आधुनिक काल के विश्वविद्यालयों की स्थापना का युग प्रारंभ हुआ था।


• पाठ्यक्रम ब्रिटिश काल में इतिहास, भूगोल, गणित सामाजिक अध्ययन कृषि आदि विषयों के साथ यूरोपियन साहित्य एवं विज्ञान को अधिक महत्व दिया गया। छोटी कक्षाओं में शिक्षा का माध्यम मातृभाषा थी। जबकि माध्यमिक एवं उच्च कक्षाओं में माध्यम अंग्रेजी था।


• शिक्षण विधि- प्राचीन एवं मध्यकाल की तरह इस काल में भी अधिकांशतः व्याख्यान विधि का प्रयोग किया जाता था। विज्ञान विषयों में प्रयोगात्मक शिक्षण की व्यवस्था थी।


• अध्यापक प्रशिक्षण ब्रिटिश काल में अध्यापकों को औपचारिक प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया। प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के शिक्षको के लिए नवीन शिक्षण विधियाँ शिक्षा मनोविज्ञान तथा विद्यालय प्रशासन का ज्ञान कराकर उन्हें शिक्षण कला मै निपुण किया जाता था।


• परीक्षा प्रणाली ब्रिटिश काल में औपचारिक परीक्षा प्रणाली का प्रारम्भ हुआ। मौखिक लिखित एवं क्रियात्मक परीक्षा के द्वारा छात्रों के शैक्षिक विकास को मापा जाता था। विभिन्न विषयों में छात्र के ज्ञान को अंको के रूप में व्यक्त किया जाता था। छात्रों का उत्तीर्ण, अनुत्तीर्ण, प्रथम द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी देने का रिवाज भी इसी काल में प्रारम्भ हुआ।


• व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा का विधिवत शिक्षण कार्य भी ब्रिटिश शासन के दौरान प्रारम्भ हुआ। इंजीनियरिंग कालेज तकनीकी शिक्षा संस्था, कृषि कालेज आदि संस्थाएं खोली गई। मिडिल एवं हाई स्कूल में व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा को स्थान दिया गया।


• बुनियादी शिक्षा - 1937 में प्रान्तों के शासनक की बागडोर कांग्रेस के हाथ में आने के बाद वर्धा शिक्षा सम्मेलन में बुनियादी शिक्षा योजना को स्वीकृति मिली। जिसे बेसिक शिक्षा योजना या वर्धा शिक्षा योजना भी कहते हैं। इसमें उत्पादक शिल्पकला के माध्यम से सभी बालक बालिकाओं को निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था थी। महात्मा गांधी की बेसिक शिक्षा आत्म निर्भरता पर आधारित थी।


• स्त्री शिक्षा - ब्रिटिश कालीन शिक्षा के प्रारम्भिक वर्षों में स्त्री शिक्षा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई परन्तु बाद के वर्षों में स्त्री शिक्षा के लिए प्रयास किये गये ओर अनेक कन्या विद्यालय खोले गये।


• छात्र शिक्षक सम्पर्क - ब्रिटिश कालीन शिक्षा में छात्र एवं शिक्षक संबंध औपचारिक रहे। यद्यपि छात्र अपने गुरुओं को आदर करते थे तथा शिक्षक अपने ज्ञान से छात्रों को प्रभावित करते थे, फिर भी छात्र एवं शिक्षक के सम्बन्धों में पहले जैसी आत्मीयता नहीं थी।


• वित्त व्यवस्था - ब्रिटिश काल में शिक्षा की वित्तीय व्यवस्था में पर्याप्त परिवर्तन हुआ। शैक्षिक वित्त का प्रमुख साधन सरकारी सहायता, स्थानीय संस्था कोष, नगर पालिका कोष, शिक्षा शुल्क उपहार व निजी दान थे। इस काल में शिक्षण सामग्री एवं भवनों पर अधिक व्यय किया गया।