सामान्य प्रायिकता वक्र की विशेषताएँ - Characteristics of Normal Probability NPC
सामान्य प्रायिकता वक्र की विशेषताएँ - Characteristics of Normal Probability NPC
1. यह एक सममित (Symmetrical) वक्र है और इसमें केवल एक बहुलांक (Unimodal) होता है। इस वक्र की ऊँचाई मध्य में सबसे अधिक होती है और यह क्रमश: किनारों की ओर कम होती जाती है।
2. यह अनन्तस्पर्शी (Asymptotic) होता है अर्थात् यह वक्र आधार की ओर बढ़ता है पर उसे स्पर्श नहीं करता है।
3. इस वक्र को केंद्रीय प्रवृत्ति के माप दो समरूप अंगो में विभाजित करते हैं अर्थात् मध्यमान (Mean) मध्यांक (Median) और बहुलांक (Mode) इस वक्र के मध्य में पड़ते हैं और वक्र को दो एकरूप (Identical) भागों में विभाजित करते हैं।
4. इस वक्र में मध्यमान (M), मध्यांक (Mdn) और बहुलांक (Mo) का मूल्य एक ही होता है। M= Md Mo
5. इस वक्र में माप की इकाई सिगमा (Sigma) अकं होते हैं। जब भी हमें इस वक्र से संबंधित गणना करनी होती है तो प्राप्तांको को Z अंको या सिगमा अंको में परिवर्तित कर लेते हैं।
6. इस वक्र में M+10 के बीच 68.26प्रतिशत, M+ 20 के बीच 95.44 प्रतिशत और M+30 के बीच 99.76 प्रतिशत अवस्थाएँ सन्निहित रहती हैं।
7. इसमें विकृति गुणांक (Coefficient of Skewness) शून्य होता है।
8. इस वक्र के द्वारा विचलन की भिन्न मापों की तुलना सरलातापूर्वक की जा सकती है।
9. यह वक्र एक गणितीय अमूर्तता (Mathematical Abstraction ) है।
( 10 ) सामान्य वक्र में आधार रेखा के विल्कुल मध्य में अर्थात् मध्यमान बिंदु पर स्थित कोटि की ऊँचाई अधिकतम होती है तथा यह कुल आवृत्तियों अर्थात् N की 3989 होती है। इस कोटि को सर्वोच्च कोटि कहते हैं।
(11) सामान्य वक्र तथा आधार रेखा के बीच का क्षेत्रफल सामान्य वक्र का क्षेत्रफल कहलाता है तथा यह कुल आवृत्तियों को प्रकट करता है। सामान्य वक्र की किन्हीं भी दो कोटियों के बीच का क्षेत्रफल उन कोटियों के सापेक्ष प्राप्तांको के बीच अंक पाने वाले विद्यार्थियों को संख्या को प्रदर्शित करता है तथा यह कुल क्षेत्रफल का एक निश्चित प्रतिशत होता है।
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