अनुकरणीय सामाजिक कौशल प्रशिक्षण , अर्थ , विशेषताएँ - Exemplary Social Skills Training Meaning, Characteristics

अनुकरणीय सामाजिक कौशल प्रशिक्षण , अर्थ , विशेषताएँ - Exemplary Social Skills Training Meaning, Characteristics


इस प्रविधि का विकास संयुक्त राज्य अमेरिका के कोलम्बिया विश्वविद्यालय में हुआ है। इसका विकास क्रुक शैन्क (1968) ने अध्यापक प्रशिक्षण प्रणाली के लिए किया था। इसे नाटकीय प्रविधि भी कहते हैं। 'कार्ल अपिनशाह' तथा उनके साथियों ने शिक्षक व्यवहार क्रम का विकास किया है।


अनुकरणीय सामाजिक कौशल प्रशिक्षण विधि का अर्थ [Meaning of Simulated social skill Training]:- 


इस विधि के द्वारा कृत्रिम परिस्थितियों में कुछ निश्चित व्यवहारों का प्रशिक्षण दिया जाता है । छात्रों को कक्षागत कृत्रिम वातावरण में शिक्षक प्रशिक्षण हेतु अनेक प्रकार की भूमिका का निर्वाह करना होता है।

जैसे- शिक्षक, छात्र या पर्यवेक्षक की भूमिका इसमें छात्र शिक्षण कौशलों को बिना किसी तनाव के सरलता तथा सुगमता के साथ सीख लेता है। अनुकरण वास्तव में एक ऐसी पृष्ठपोषण प्रविधि है, जो भूमिका निर्वाह के द्वारा छात्रों में, शिक्षकों के कुछ निश्चित वांछित सामाजिक कौशलों का कक्षागत कृत्रिम परिस्थितियों में तथा उनके अपने समूह में विकास किया जाता है


अनुकरणीय सामाजिक कौशल प्रशिक्षण की विशेषताएँ [Characteristics of Simulated social skill Training]:


1. इस प्रविधि की सहायता से छात्राध्यापकों को प्रभावशाली ढंग से पृष्ठपोषण दिया जाता है।


2. छात्राध्यापकों को कक्षा में भेजने से पहले शिक्षण के लिए पूर्व अभ्यास के लिए अवसर दिए जाते हैं।

इस प्रविधि से सामान्य व्यवहार की जानकारी तथा कौशल का विकास किया जाता है।


3. इसको अनुसंधान की प्रविधि के रूप में प्रयोग किया जा सकताहै ।


4. छात्राध्यापकों के लिए यह अधिक उपयोगी है। इसमें वे अपनी शिक्षण-कौशल का मौलिक विकास कर सकते हैं। यदि मॉडल पाठ के स्थान पर अनुकरणीय शिक्षण को प्रयुक्त किया जाए तो अधिक प्रभावशाली होता है।


कार्ल ओपन शॉ (Karl Open Shaw) ने शिक्षक व्यवहार के चार प्रमुख आयामों का निरूपण कर शिक्षक के सामाजिक व्यवहार की अपनी टैक्सोनोमी विकसित की है। 


चार स्तर :


1. स्रोत स्तर (Source Dimension) - इसे अभिप्रेरणा का स्रोत भी कहते हैं।


2. दिशा स्तर ( Direction Dimension) - इसके अंतर्गत अपेक्षित व्यवहारों का स्वरूप होता है। 


3. कार्य स्तर ( Function Dimension)- इसमें व्यवहारों के स्वरूप की सार्थकता देखते हैं।


4. संकेत स्तर ( Sign Dimension)- अंतिम स्तर पर संप्रेषण का स्वरूप भी सुनिश्चित करते हैं।