सम-विच्छेद विश्लेषण की सीमाएं - Limitations of Break-even Analysis

सम-विच्छेद विश्लेषण की सीमाएं - Limitations of Break-even Analysis


सम-विच्छेद विश्लेषण की मुख्य सीमाएं निम्नलिखित है- 


(1) स्थिर एवं परिवर्तनशील लागतों के विभाजन में कठिनाई (Difficulties in the Classification of Fixed and Variable Costs) – यह विश्लेषण इस मान्यता पर आधारित है कि उत्पादन लागतों को स्थिर एवं परिवर्तनशील दो प्रकार की लागतों में विभाजित किया जा सकता है, परन्तु व्यावहारिक जीवन में न तो कोई लागत पूर्णतः स्थायी होती है और न ही पूर्णतः परिवर्तनशील ।


(2) स्थायी एवं परिवर्तनशील व्यय का अनुपात ( Ratio of Fixed and Variable Expenses) - सम-विच्छेद विश्लेषण उसी परिस्थिति में उपयोगी सिद्ध हो सकता है जब स्थिर एवं परिवर्तनशील व्ययों का अनुपात स्थिर रहे


(3) विक्रय मूल्य (Selling Price ) - यह विश्लेषण इस मान्यता पर आधारित है कि उत्पादन एवं विक्रय के सभी स्तरों पर विक्रय मूल्य में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नही होता अर्थात सभी स्तरों पर विक्रय मूल्य पूर्ववत् ही बना रहता है, जबकि वास्तविकता यह है कि उत्पादन मात्रा में वृद्धि के साथ-साथ विक्रय मूल्य में कमी करनी पड़ती है।


(4) उत्पादन लागत को प्रभावित करने वाले तत्व (Factor affecting Production Costs) - इस विश्लेषण के अन्तर्गत उत्पादन लागत में होने वाले परिवर्तनों का एक मात्र कारण स्थायी एवं परिवर्तनशील व्ययों की प्रकृति माना जाता है जबकि वास्तविकता यह है कि उत्पादन लागत पर अन्य कारकों का भी प्रभाव पड़ता है जैसे- श्रम एवं मशीनों की कुशलता, संयन्त्र क्षमता, तकनीकी योग्यता आदि


(5) विक्रय मिश्रण में स्थिरता (Stability in Sales Mix) - यह विश्लेषण इस मान्यता पर आधारित है कि विक्रय मिश्रण में कोई परिवर्तन नही होता है जो कि गलत है। वास्तविकता यह है कि वस्तु की मांग के अनुसार विक्रय मिश्रण में परिवर्तन करना आवश्यक हो जाता है।


(6) विनियोजित पूंजी पर कोई ध्यान नहीं (No Attention on Capital Employed ) – यह विश्लेषण विनियोजित पूंजी पर भी कोई ध्यान नही देता है जो कि प्रबन्धकीय निर्णय में एक महत्वपूर्ण कारक होता है।


(7) अधिकतम उत्पादन स्तर पर अधिकतम लाभ (Maximum Profit on Maximum Production Level) - इस विश्लेषण की यह मान्यता भी सत्य नही है कि अधिकतम उत्पादन स्तर पर ही अधिकतम लाभ होंगे। वास्तविकता यह है कि अधिकतम लाभ अधिकतम उत्पादन स्तर पर नहीं होता बल्कि अनुकूलतम उत्पादन स्तर (Optimum Production Level) पर होता है।